Home | Looking for something? Sign In | New here? Sign Up | Log out

Sunday, January 16, 2011

मनरेगा की मजदूरी

Sunday, January 16, 2011
मनरेगा की मजदूरी
सौ. इस्पात टाइम्स, 17-Jan, 1:40 AM

(आनंद प्रधान)

न्यूनतम मजदूरी कानून लागू करने से पीछे हट रही सरकार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अड़े हुए हैं कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा के तहत मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी नहीं दी जा सकती। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की चिट्ठी के जवाब में उन्होंने इतना ही कहा है कि मनरेगा के तहत निश्चित 100 रुपए प्रतिदिन की मजदूरी दर को अधिक से अधिक मुद्रास्फीति के साथ जोड़ा जा सकता है। उनकी इस चिट्ठी के बाद केंद्र सरकार ने मनरेगा के तहत विभिन्न राज्यों में दी जा रही मजदूरी में मुद्रास्फीति के आधार पर 17 से लेकर 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है, लेकिन यह पिछले दो वर्षों की भारी महंगाई की तुलना में ऊंट के मुंह में जीरे की तरह ही है।

उल्लेखनीय है कि कुछ महीने पहले ही सरकार ने सांसदों-मंत्रियों के वेतन में 300 से 400 फीसदी की बढ़ोतरी की है, लेकिन गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे मजदूरों की मजदूरी में सिर्फ 17 से 30 प्रतिशत की वृद्धि की बात कही गई है। जाहिर है कि इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है! इस फैसले से यह पूरी तरह साफ हो गया है कि केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार मनरेगा की मजदूरी दर को विभिन्न राज्यों की न्यूनतम मजदूरी के बराबर करने के लिए तैयार नहीं है। सरकार के इस सख्त फैसले से करोड़ों मजदूरों के साथ-साथ उन जन संगठनों को भी घोर निराशा हुई है, जो मनरेगा की मजदूरी को राज्यों की न्यूनतम मजदूरी दर के बराबर करने की मांग को लेकर पिछले कई महीनों से केंद्र सरकार से लड़ाई लड़ रहे हैं।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास अपने इस फैसले के पक्ष में कोई तर्क नहीं है-न कानूनी, न सांविधानिक, न राजनीतिक और न ही नैतिक। उनके पास अपने फैसले के पक्ष में आर्थिक तर्क भी नहीं है। आखिर कोई सरकार संसद द्वारा पारित न्यूनतम मजदूरी कानून का उल्लंघन भला कैसे कर सकती है? यहां तक कि खुद केंद्र सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने इस मामले में अपनी कानूनी राय में कहा था कि न्यूनतम मजदूरी कानून से कम मजदूरी देना कानून सम्मत नहीं है और इसे जबरन श्रम या बंधुआ मजदूरी ही माना जाएगा।

इससे पहले आंध्र उच्च न्यायालय ने भी मनरेगा के तहत राज्य सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम मजदूरी से भी कम मजदूरी देने पर नाराजगी जाहिर करते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री के उस सर्कुलर पर आंध्र प्रदेश में रोक लगा दी थी, जिसमें मनरेगा के तहत मजदूरी को सौ रुपये प्रतिदिन फिक्स कर दिया गया था। हैरत देखिए, इसके बावजूद केंद्र सरकार मनरेगा की मजदूरी को न्यूनतम मजदूरी के बराबर न करने के अपने फैसले पर अड़ी हुई है। यह सिर्फ अन्यायपूर्ण ही नहीं है, बल्कि श्रमिकों के सांविधानिक अधिकारों का उल्लंघन भी है।

सर्वोच्च न्यायालय ने भी कुछ वर्ष पूर्व एक फैसले में कहा था कि सरकार को एक आदर्श नियोक्ता की तरह पेश आना चाहिए। लेकिन जब केंद्र सरकार खुद ही न्यूनतम मजदूरी देने के लिए तैयार नहीं है, तो वह निजी नियोक्ताओं को न्यूनतम मजदूरी देने के लिए भला कैसे बाध्य कर सकती है? यह कितना बड़ा मजाक है कि जिससे आदर्श नियोक्ता बनने की अपेक्षा की जा रही है, वह खुद ही कानून की धज्जियां उड़ा रहा है, जो एक तरह से निजी नियोक्ताओं को मनमानी करने का लाइसेंस देने की तरह ही है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि निजी क्षेत्र ने न्यूनतम मजदूरी कानून की कभी परवाह नहीं की। बल्कि यह क्यों न माना जाए कि सरकार की चुप्पी और कई बार खुली सहमति से ही निजी क्षेत्र इस कानून को लगातार ठेंगा दिखाता रहा है।

असल में, यूपीए सरकार ने मनरेगा की मजदूरी का यह फैसला निजी क्षेत्र के दबाव और वित्तीय कठमल्लावाद के असर में लिया है। यह तथ्य किसी से छिपा हुआ नहीं है कि निजी क्षेत्र मनरेगा के कारण मजदूरों की अनुपलब्धता और मजदूरी में बढ़ोतरी की शिकायत करता रहा है। निजी क्षेत्र के मुताबिक मनरेगा के कारण मजदूर गांवों में ही रुक जा रहे हैं, जिससे श्रमिकों की उपलब्धता प्रभावित हो रही है और कम उपलब्धता के कारण उनकी मजदूरी में भी इजाफा करना पड़ रहा है। इससे आधारभूत परियोजनाएं और निर्माण क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।

निजी क्षेत्र को यह भी आशंका है कि अगर मनरेगा के तहत मजदूरी न्यूनतम मजदूरी के बराबर कर दी गई, तो न सिर्फ मजदूर नहीं मिलने की समस्या और बढ़ जाएगी, बल्कि उन्हें मजदूरी दर में और बढ़ोतरी करने के लिए भी मजबूर होना पड़ेगा। इस तरह खुलकर न कहते हुए भी निजी क्षेत्र का केंद्र सरकार पर दबाव है कि वह न सिर्फ मनरेगा के तहत मजदूरी न बढ़ाए, बल्कि इस पूरी योजना को इस हद तक अनाकर्षक बना दे कि मजदूर उसकी तरफ देखे भी नहीं, ताकि निजी क्षेत्र बिना किसी रोकटोक के मजदूरों के श्रम का बदस्तूर शोषण करता रह सके।

केंद्र सरकार के इस फैसले से निजी क्षेत्र की यह इच्छा तो पूरी हुई ही है, इससे सरकार में बैठे उन वित्तीय कठमुल्लावादियों की भी इच्छा पूरी हो गई है, जो इस योजना का शुरू से ही इस आधार पर विरोध करते रहे हैं कि इससे सरकार का वित्तीय घाटा बढ़ जाएगा। वे पहले से ही इस योजना को निरर्थक, सरकारी खजाने में छेद और आर्थिक रूप से अनुपयोगी मानते रहे हैं। बल्कि उनका वश चलता, तो यह योजना कभी अमल में ही नहीं आती, लेकिन उनके न चाहने पर भी राजनीतिक कारणों से यह योजना लागू हुई। अलबत्ता लागू होने के बाद से ही मजदूरों को अस्थायी रोजगार देने वाली इस योजना को विफल करने की कोशिशें होती रही हैं। न्यूनतम मजदूरी देने से इनकार करना भी इन्हीं कोशिशों का हिस्सा है।

0 comments:

Post a Comment

 

NREGA, MGNREGA, NREGA NEWS, NREGA, NREGA, NREGA, MGNREGA

Latest news about nrega, nrega comments, nrega news photos, nrega news stills and nrega videos.
Get all the latest news, stories and web pages tagged with NREGA on Zee News
Get Latest NREGA photos, Watch NREGA videos, Pics, Images, Pictures, Video Clips, NREGA Wallpapers
The Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act (MGNREGA) is an Indian job guarantee scheme
National Rural Employment Gurantee Act (NREGA)

NREGA, MGNREGA, NREGA NEWS, NREGA, NREGA

Latest news about nrega, nrega comments, nrega news photos, nrega news stills and nrega videos.
Get all the latest news, stories and web pages tagged with NREGA on Zee News
Get Latest NREGA photos, Watch NREGA videos, Pics, Images, Pictures, Video Clips, NREGA Wallpapers
The Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act (MGNREGA) is an Indian job guarantee scheme
National Rural Employment Gurantee Act (NREGA)

NREGA, MGNREGA, NREGA NEWS, NREGA, NREGA

Latest news about nrega, nrega comments, nrega news photos, nrega news stills and nrega videos.
Get all the latest news, stories and web pages tagged with NREGA on Zee News
Get Latest NREGA photos, Watch NREGA videos, Pics, Images, Pictures, Video Clips, NREGA Wallpapers
The Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act (MGNREGA) is an Indian job guarantee scheme
National Rural Employment Gurantee Act (NREGA).