The Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act (MGNREGA), nrega, mgnrega, mgnrega news, nrega job, mgnrega job, nrega, mgnrega, about nrega, about mgnrega
तकनीकी सहायकों के रूप में काम कर रहे कनिष्ठ अभियंताओं को कुशल श्रमिकों से भी कम 265 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मेहनताना दिया जा रहा है। जिले में पंचायतों के मुताबिक 68 जेटीओ का काम 55 जने कर रहे हैं। सरकार की इस बेरुखी से खफा अभियंताओं ने मुख्यमंत्री, पंचायतीराज मंत्री व प्रशासनिक सुधार आयोग को स्थिति से अवगत करवा कर वेतन और पद बढ़ाने के सुझाव भेजे हैं। राज्य में कुशल श्रमिकों का वेतन ढाई सौ से साढ़े तीन सौ रुपए प्रतिदिन है, वहीं डिप्लोमा व डिग्रीधारी अभियंताओं के समकक्ष संविदा पर लगे नर्सिगकर्मियों और डॉक्टरों को 15 से 20 हजार रुपए मासिक मिलते हैं।
दूसरी ओर नरेगा के तहत तकनीकी सहायकों को 265 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से आठ हजार रुपए प्रतिमाह ही दिए जा रहे हैं। अभियंताओं के प्रति सरकारी बेरुखी का यह आलम है कि प्रदेश में हर साल तैयार होने वाले सिविल इंजीनियरों में से अधिकांश बेरोजगार है। दूसरी तरफ नरेगा में जेटीओ के कई पद रिक्त हैं। जिले में 13 तथा पूरे प्रदेश में 200 से ज्यादा पद खाली हैं। आंकड़ों के अनुसार जिले में नियुक्त 1 लाख 21 हजार 700 नरेगा श्रमिकों पर 81 जेटीओ की जरूरत है। इसके बावजूद यहां जेटीओ के पद नहीं भरे गए। कम वेतन से जेटीओ में मायूसी है और पद रिक्त होने से कार्य प्रभावित हो रहा है।
अभियंताओं के सुझाव
नरेगा के प्रति अभियंताओं में रुचि पैदा करने के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज अभियंता संघ ने मुख्यमंत्री, पंचायतीराज मंत्री व प्रशासनिक सुधार आयोग को कुछ सुझाव भेजे हैं। उन्होंने वेतन 15 हजार करने, अनुबंध के साथ वेतन बढ़ाने, यात्रा भत्तों का भुगतान मासिक रूप से करने, गैर तकनीकी कार्यो का टास्क पूरा नहीं होने पर निरीक्षणकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने और भुगतान में देरी पर जेटीओ के साथ एडीपीसी से भी शास्ती वसूलने के सुझाव दिए हैं।
जोधपुर। नरेगा का काम करने वाले अभियंताओं का वेतन मजदूरों से भी कम है।
Source - www.pratahkal.com
तकनीकी सहायकों के रूप में काम कर रहे कनिष्ठ अभियंताओं को कुशल श्रमिकों से भी कम 265 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मेहनताना दिया जा रहा है। जिले में पंचायतों के मुताबिक 68 जेटीओ का काम 55 जने कर रहे हैं। सरकार की इस बेरुखी से खफा अभियंताओं ने मुख्यमंत्री, पंचायतीराज मंत्री व प्रशासनिक सुधार आयोग को स्थिति से अवगत करवा कर वेतन और पद बढ़ाने के सुझाव भेजे हैं। राज्य में कुशल श्रमिकों का वेतन ढाई सौ से साढ़े तीन सौ रुपए प्रतिदिन है, वहीं डिप्लोमा व डिग्रीधारी अभियंताओं के समकक्ष संविदा पर लगे नर्सिगकर्मियों और डॉक्टरों को 15 से 20 हजार रुपए मासिक मिलते हैं।
दूसरी ओर नरेगा के तहत तकनीकी सहायकों को 265 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से आठ हजार रुपए प्रतिमाह ही दिए जा रहे हैं। अभियंताओं के प्रति सरकारी बेरुखी का यह आलम है कि प्रदेश में हर साल तैयार होने वाले सिविल इंजीनियरों में से अधिकांश बेरोजगार है। दूसरी तरफ नरेगा में जेटीओ के कई पद रिक्त हैं। जिले में 13 तथा पूरे प्रदेश में 200 से ज्यादा पद खाली हैं। आंकड़ों के अनुसार जिले में नियुक्त 1 लाख 21 हजार 700 नरेगा श्रमिकों पर 81 जेटीओ की जरूरत है। इसके बावजूद यहां जेटीओ के पद नहीं भरे गए। कम वेतन से जेटीओ में मायूसी है और पद रिक्त होने से कार्य प्रभावित हो रहा है।
अभियंताओं के सुझाव
नरेगा के प्रति अभियंताओं में रुचि पैदा करने के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज अभियंता संघ ने मुख्यमंत्री, पंचायतीराज मंत्री व प्रशासनिक सुधार आयोग को कुछ सुझाव भेजे हैं। उन्होंने वेतन 15 हजार करने, अनुबंध के साथ वेतन बढ़ाने, यात्रा भत्तों का भुगतान मासिक रूप से करने, गैर तकनीकी कार्यो का टास्क पूरा नहीं होने पर निरीक्षणकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने और भुगतान में देरी पर जेटीओ के साथ एडीपीसी से भी शास्ती वसूलने के सुझाव दिए हैं।
जोधपुर। नरेगा का काम करने वाले अभियंताओं का वेतन मजदूरों से भी कम है।
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