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जोधपुर। नवनिर्वाचित प्रधानों व उप प्रधानों ने नरेगा को पंचायत राज संस्थाओं की अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन की गति थामने वाला बताते हुए इसे पंचायतों से अलग करने की आवाज उठाई है। इनका कहना है कि नरेगा के कारण पंचायतों को रोजमर्रा के काम प्रभावित हो रहे हैं, जबकि नरेगा में पंचायत प्रतिनिधियों का दखल नहीं के बराबर है। नरेगा बनाम पंचायत का मुद्दा बुधवार को सम्भाग के नव निर्वाचित प्रधानों-उप प्रधानों व विकास अधिकारियों के लिए यहां आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन छाया रहा। सिरोही जिले की रेवदर पंचायत समिति की प्रधान पद्मा कंवर ने तो पंचायतों को नरेगा कार्यो से पूरी तरह अलग कर देने की मांग ही कर डाली। उनका कहना था कि वैसे भी नरेगा से पंचायतों का सीधा वास्ता नहीं के बराबर है। इस पर जिला कलक्टर व अन्य अधिकारियों का नियंत्रण है। विकास अधिकारी व पंचायतों के अन्य कर्मचारी-अधिकारी अधिकांश समय नरेगा कार्यो में ही उलझे रहते हैं। ऎसे में पंचायतों का रोजमर्रा काम प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। कई अन्य प्रधानों-उप प्रधानों ने भी नरेगा को लेकर व्यावहारिक सवाल खडे किए। कहां हैं अधिकार | ||
Thursday, June 3, 2010
नरेगा-नरेगा, बाकी कौन करेगा
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